Generation of computer in Hindi “कंप्यूटर जनरेशन” का अर्थ है कंप्यूटर की विकास यात्रा में होने वाले महत्वपूर्ण मील के पत्थरों की सूची। इसमें हर पीढ़ी नई तकनीकी प्रौद्योगिकियों का सामरिकता से समर्थन करती है और कंप्यूटरों की क्षमता, गति, और उपयोग की विशेषताएं सुधारती है। इसका उद्दीपन तकनीकी विकास के साथ होता है और इसे विभिन्न पीढ़ियों में विभाजित करके प्रमुख कंप्यूटर पीढ़ियों को उजागर करता है।
“कंप्यूटर जनरेशन” को पर्यायी रूप से “कंप्यूटर पीढ़ी” कहा जा सकता है। यह एक तकनीकी शब्द है जो कंप्यूटरों की विकास के विभिन्न स्थितियों को बताने के लिए प्रयुक्त होता है।
पहली पीढ़ी में, कंप्यूटरों (FIRST GENERATION OF COMPUTER )का उपयोग वैक्यूम ट्यूब्स के साथ होता था, जो बड़े, भारी, और ऊर्जा की उच्च खपत वाले थे। दूसरी पीढ़ी में ट्रांजिस्टर्स ने वैक्यूम ट्यूब्स को स्थायी, स्माल, और उच्च गति वाले उपकरणों में बदल दिया। तीसरी पीढ़ी में इंटीग्रेटेड सर्किट्स ने कंप्यूटरों की ऊर्जा की खपत को कम करने में मदद की और उन्हें और भी सक्रिय बनाया। चौथी पीढ़ी में, माइक्रोप्रोसेसर्स ने कंप्यूटरों को और भी सुधारित और समर्थनी बना दिया।
आज की पाँचवीं पीढ़ी में, कंप्यूटरों का उपयोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, और बहुप्रकारी डेटा प्रोसेसिंग में हो रहा है। इसमें हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर की नई प्रौद्योगिकियों का उपयोग हो रहा है जो सुपरकंप्यूटिंग, क्वांटम कंप्यूटिंग, और अधिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण अग्रणी बदलाव ला रहे हैं।
मुख्यता: ट्यूब और स्विच युक्त यानी वैल्व टेक्नॉलॉजी का उपयोग किया गया, जैसे ENIAC और UNIVAC 1
सन् 1946 से सन् 1950 तक विकसित हुए कम्प्यूटर्स को प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर्स के रूप में मान्यता आप्त हुई। इस पीढ़ी के कम्प्यूटर्स में डायोड वाल्व वैक्यूम ट्यूब का प्रयोग किया गया। इस पीढ़ी के कुछ कम्प्यूटर निम्न प्रकार है ENIAC, EDVAC, IBM-700 Series, IBM-650 Series इत्यादि।
दुनिया का पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर था, जो 1946 में बनाया गया था। यह अद्वितीय और पूर्णत: अनुशिक्षित था और गणना के क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण कदम था।
एक और महत्वपूर्ण कंप्यूटर था, जिसे ENIAC के सफल प्रोजेक्ट के बाद विकसित किया गया। EDVAC ने अद्वितीय स्थायिता और पुनरावृत्ति क्षमता के लिए नए तकनीकी सिद्धांतों का उपयोग किया।
IBM-700 SERIES और IBM-650 SERIES IBM कंपनी की एक सीरीज़ थीं, जो 1950 के दशक में लॉन्च की गई थीं। इनमें से IBM-650 व्यापक रूप से उपयोग होने वाले कंप्यूटरों में से एक था और यह कंप्यूटिंग तकनीक के क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण कदम था।
कंप्यूटर सीरीज़ के साथ, IBM ने 1950 के दशक में कई और उन्नत कंप्यूटर तकनीकों का विकास किया। IBM-700 SERIES ने व्यावासिक कार्यों के लिए अद्वितीय रूप से डिज़ाइन किए गए थे, जबकि IBM-650 SERIES ने व्यवसायिक उपयोग के लिए सुविधाजनक स्थायिता प्रदान की थी।
इनमें से हर एक कंप्यूटर ने समय की दृष्टि से बहुत आगे जाने वाले सुधारों के साथ अपने क्षेत्र में एक अद्वितीय स्थान बनाया। इनमें से कुछ ने प्रोग्रामिंग भाषाओं में अद्भुतीय सुधार किए और दूसरे नए तकनीकी और हार्डवेयर कंपोनेंट्स को लाने में मदद की।
ये कंप्यूटर सिर्फ गणना में ही नहीं, बल्कि विज्ञान, उद्यम, और सामाजिक क्षेत्र में भी एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक थे। इनका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में समस्याओं के समाधान के लिए हुआ और उन्होंने आधुनिक कंप्यूटिंग की दुनिया की नींव रखी।
द्वितीय पीढ़ी (Second Generation of computer) के कम्प्यूटर्स मुख्यता: ट्रांजिस्टर्स का प्रयोग किया गया, जैसे IBM 1401 और IBM 7094, सन् 1959 से सन् 1964 तक आये कम्प्यूटर्स को द्वितीय पीढ़ी के कम्प्यूटर्स कहा जाता है। द्वितीय पीढी के कम्प्यूटर में वैक्यूम ट्यूब के स्थान पर ट्रांजिस्टर का प्रयोग किया गया। इस पीढ़ी के प्रसिद्ध कम्प्यूटर निम्न है: IBM-7070, 7090, 7094, PDP-1, PDP-8, NCR-315 इत्यादि ।
कंपनी के एक और प्रमुख कंप्यूटर था, जो 1950 के दशक में विकसित किया गया था। इसका उपयोग विज्ञान, गणना, और उद्योग में विभिन्न कार्यों के लिए किया जाता था।
IBM-7090 और 7094 भी IBM कंपनी की प्रमुख कंप्यूटर सीरीज़ थीं, जो अगले दशक में विकसित की गई थीं। इनमें तेज़ गणना और उच्च स्तरीय भाषाओं का समर्थन था, जिससे उच्च स्तरीय गणना के कार्यों को सरल बनाया गया।
Digital Equipment Corporation (DEC) द्वारा विकसित किए गए कंप्यूटर्स थे। PDP-1 पहला मानव-सांविदानिक इंटरफेस और गेमिंग के लिए डिज़ाइन किया गया था, जबकि PDP-8 ने सामान्य उपयोग के लिए कंप्यूटिंग को सुलभ बनाया।
NCR-315 नेशनल कैश रजिस्टर कॉर्पोरेशन (NCR) द्वारा बनाया गया था और यह व्यावासिक वित्तीय कार्यों के लिए डिज़ाइन किया गया था। इसका उपयोग खासकर बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में होता था।
ENIAC, EDVAC, IBM-700 SERIES, और IBM-650 SERIES जैसे पहले कंप्यूटरों ने नए संभावनाओं का संकेत दिया और तकनीकी क्षेत्र में बड़े परिवर्तन की शुरुआत की। इनका उपयोग अंकगणित, गणना, और डेटा प्रोसेसिंग के क्षेत्र में किया गया और इसने लोगों को तेज़ी से और सटीकता से गणना करने का अवसर दिया।
इनमें से प्रत्येक ने अपनी विशेषता और शक्तियों के कारण अपने युग के साथ समर्थन किया। ENIAC ने पहले डिजिटल कंप्यूटिंग की दिशा में कदम बढ़ाया, जबकि EDVAC ने प्रोग्राम संग्रहण की अवधारित करने में मदद की और IBM-700 SERIES और IBM-650 SERIES ने व्यावसायिक उपयोग के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए थे।
ENIAC और EDVAC ने अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के समय में गुप्त सैन्य सुधार के लिए योजनाएं बनाईं, जबकि IBM-700 SERIES और IBM-650 SERIES ने व्यवसायिक संगणकों के रूप में व्यापक उपयोग होने का मार्ग दिखाया।
इन कंप्यूटरों की यात्रा ने हमें एक नए संभावनाओं और समस्याओं के सामना करने के लिए प्रेरित किया, जिसने विज्ञान और तकनीक की दुनिया में बहुत बदलाव लाने की राह खोली
IBM-360, 370, CDC-7600, UNIVAC-1108 इत्यादि:
IBM-360 और 370, इंटरनेशनल बिजनेस मशीन्स (IBM) कंपनी द्वारा विकसित किए गए थे और ये कंप्यूटर व्यापक उपयोग के लिए थे। IBM-360 ने 1960 के दशक में एक नए स्तर के इंटेग्रेटेड कंप्यूटर सिस्टम की शुरुआत की, जो विभिन्न उद्योगों के लिए अनुकूलित किया गया था। IBM-370 ने उसे और भी बेहतर बनाया और उसमें नए तकनीकी सुधार शामिल किए गए।
CDC-7600 (Control Data Corporation) एक उच्च क्षमता वाला सुपरकंप्यूटर था, जो 1960 के दशक में विकसित किया गया था। इसमें शक्तिशाली गणना और तेज़ संग्रहण सुविधाएं थीं और इसका उपयोग वैज्ञानिक अनुसंधान और डेटा प्रोसेसिंग के क्षेत्र में किया जाता था।
UNIVAC-1108 (Universal Automatic Computer) एक और प्रमुख कंप्यूटर था, जिसे 1960 के दशक में UNIVAC कंपनी ने विकसित किया। इसमें शक्तिशाली प्रोसेसिंग क्षमता थी और यह वैज्ञानिक, रक्षा, और उद्योग क्षेत्रों में उपयोग होता था।
इन कंप्यूटरों ने तकनीकी विकास में एक बड़ा कदम बढ़ाया और उनका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से और विशेषता से गणना और डेटा प्रोसेसिंग के कार्यों के लिए हुआ।
तृतीय पीढ़ी (Third Generation of computer ) के कम्प्यूटर्स मुख्यता: इंटीग्रेटेड सर्किट्स (ICs) जैसे तत्वों का उपयोग हुआ, जैसे IBM 360 और DEC PDP-11.
सन् 1964 से सन् 1970 तक आये कम्पयूटर को तृतीय पीढ़ी के कम्प्यूटर्स में रखा गया। इस पीढी के कम्प्यूटर में ट्रांजिस्टर के स्थान पर Integrated Circuit का प्रयोग किया गया। इस पीढी के कम्प्यूटर निम्न है: IBM-360, 370, CDC-7600, UNIVAC-1108 इत्यादि
IBM-360, 370, CDC-7600, UNIVAC-1108 इत्यादि कंप्यूटरों ने 1960 के दशक में सूचना प्रोसेसिंग तकनीक के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत की।
IBM-360 ने एक सामग्रीक डिज़ाइन प्रस्तुत किया और इसने विभिन्न कंप्यूटिंग आवश्यकताओं के लिए विकसित किए गए विभाजन और इंटरफेसों के माध्यम से सबसे पहले एक सामग्रीक कंप्यूटिंग सिस्टम को प्रस्तुत किया। IBM-370 ने इसे और भी उन्नत किया, उसमें विभिन्न प्रकार के प्रोसेसिंग कार्यों को संभालने की क्षमता थी और इसने बड़े स्तर पर कंप्यूटिंग के लिए मानक बना दिया।
CDC-7600 ने सुपरकंप्यूटिंग क्षमता में एक बड़ी कदम बढ़ाया और यह विज्ञानिक और अनुसंधान क्षेत्रों में तेजी से गणना के लिए उपयोग होता था।
UNIVAC-1108 ने भी विशेष रूप से वैज्ञानिक और उद्योग क्षेत्रों में अपना प्रभाव दिखाया और इसने तकनीकी नवाचारों के साथ संगणना क्षमता को बढ़ाया।
इन कंप्यूटरों ने सूचना प्रस्तुति की दिशा में बड़े बदलाव को बढ़ावा दिया और इसके परिणामस्वरूप हमारे समृद्धि और तकनीकी समाज में एक नए क्षेत्र की नींव रखी।
IBM-360, 370, CDC-7600, UNIVAC-1108
चतुर्थ पीढ़ी (Fourth Generation of computer of computer in Hindi )कम्प्यूटर्स सन् 1970 से सन् 1985 तक के कम्प्यूटर्स को चतुर्थ पीढ़ी के कम्प्यूटर्स में रखा गया। सन् 1975 ने वेरी लार्ज स्केल इन्टीग्रेशन (Very Large Scale Integration (VLSI)) चिप का प्रयोग हुआ। इस पीढ़ी के कम्प्यूटर अपनी पहली पीढ़ी के कम्प्यूटर्स से अत्यधिक तेज गति से चलते थे। इस सीरीज के मुख्य कम्प्यूटर : Intel 8080, 8085, 8086, 80286, 80386, 80486, PENTIUM I, II, III, IV इत्यादि ।
Intel 8080, 8085, 8086, 80286, 80386, 80486, PENTIUM I, II, III, IV के साथ, इंटेल ने कंप्यूटिंग के क्षेत्र में अनगिनत नए युगों की शुरुआत की।
8086 ने 16-बिट प्रोसेसिंग का आधार रखा और इसकी स्थानांतर पीढ़ियाँ, जैसे कि 80286, 80386, और 80486, ने व्यापक रूप से प्रयुक्त हुए संगणन को तेज और प्रभावी बनाया।PENTIUM सीरीज़ ने मल्टीमीडिया क्षमता और उच्च स्तरीय प्रोसेसिंग का आनंद लिया और यह व्यक्तिगत और व्यावासायिक उपयोग के लिए एक नए स्तर की स्वतंत्रता प्रदान करता था।
हर सीरीज़ ने नए तकनीकी सुधारों के साथ आए और उपयोगकर्ताओं को बेहतर सुविधाएं प्रदान कीं। इंटेल के प्रोसेसर्स ने उद्योग, विज्ञान, गेमिंग, और सामाजिक उपयोग के क्षेत्र में अद्वितीय स्थान बनाया है और कंप्यूटिंग तकनीक की सीमाओं को बढ़ा दिया है।
इस पीढ़ी के कम्पयूटर आज भी विकास की स्थिति में है। इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में मानव के गुणों को सम्मिलित करने का प्रयास किया है, एक ऐसा कम्प्यूटर जिसमें स्वयं की सोचने की क्षमता हो, याद करने की क्षमता, स्टोर करने की क्षमता हो जो बिलकुल मनुष्य की तरह की कार्य कर सके।
इस तरह के कम्प्यूटर्स में आर्टीफीशियल इन्टेलीजेन्स (Artificial Intelligence) और नॉलेज कम्प्यूटिंग (Knowledge Computing) का समावेश किया गया है। इन कम्प्यूटर्स में प्रोलॉग (PROLOG) और लिस्प (LISP) नाम की प्रोग्रामिंग भाषा (Programming Languages) को प्रयोग में लाया जाता है। इन कम्प्यूटर्स को defence और weather forecasting के प्रयोग में लाया जाता है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता एक शाखा है जो कंप्यूटर सिस्टम्स को मानव बुद्धिमत्ता की तरह कार्य करने की क्षमता प्रदान करने का अध्ययन करती है। इसमें मशीनों को सोचने, सीखने, और समस्याओं का समाधान करने की क्षमता होती है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उदाहरणों में स्वतंत्र गाड़ियों, वाणिज्यिक अनुसंधान, और रोबोटिक्स शामिल होते हैं।
नॉलेज कम्प्यूटिंग एक अद्वितीय उदाहरण है जो बुद्धिमत्ता और नॉलेज को संग्रहित, प्रस्तुत, और प्रबंधित करने के लिए तकनीकों का अध्ययन करता है। इसमें समझाने, सीखने, और नॉलेज को प्रयोग करने की क्षमता होती है जिससे कि सिस्टम स्वतंत्र रूप से नए और संविदानशील परिस्थितियों का सामना कर सके। नॉलेज कम्प्यूटिंग का उपयोग सामाजिक संज्ञान, नॉलेज मैनेजमेंट, और समस्या समाधान में किया जाता है।
प्रोलॉग और लिस्प दोनों ही महत्वपूर्ण प्रोग्रामिंग भाषाएं हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग होती हैं।
प्रोलॉग एक लॉजिक प्रोग्रामिंग भाषा है जो विशेषकर विशेष तरीके से स्थानांतर की जाती है। इसमें तथ्यों को लॉजिक और नियमों के साथ प्रस्तुत किया जाता है और स्वयं से सवाल करने के लिए एक विशेष प्रणाली होती है। प्रोलॉग का उपयोग विभिन्न शास्त्रीय तरीकों में जैसे कि वित्तीय विश्लेषण, नैतिक विज्ञान, और एक्सपर्ट सिस्टम्स में किया जाता है।
लिस्प एक फंक्शनल प्रोग्रामिंग और सिम्बॉलिक कंप्यूटिंग की परंपरागत भाषा है। इसमें लैम्बडा कैलकुलस और सैकड़ों सिंबॉलिक एक्सप्रेशनों के लिए विशेष धाराएं होती हैं। लिस्प का उपयोग ज्ञान के प्रस्तुतिकरण, गणना सांघटन, और एम्बेडेड सिस्टम्स में किया जाता है।
इन दोनों प्रोग्रामिंग भाषाओं का उपयोग अपने-आप की स्थानीय और विशेषता योजनाओं में करने के लिए किया जा सकता है, और विज्ञान, तार्किक यानी निर्णयात्मक प्रोग्रामिंग, और बुद्धिमत्ता के क्षेत्रों में इसका विशेष उपयोग होता है।
कंप्यूटर जनरेशन (GENERATION OF COMPUTER )का अध्ययन करना लोगों को तकनीकी जागरूकता प्रदान करता है, जिससे वे नए तकनीकी और विज्ञानिक विकासों को समझ सकते हैं।
कंप्यूटर जनरेशन (GENERATION OF COMPUTER )का अध्ययन करना हमें यह बताता है कि कैसे कंप्यूटर विकसित हुए हैं और उनमें कौन-कौन से परिवर्तन हुए हैं। इससे हम तकनीकी उन्नति के साथ आने वाले सामाजिक और आर्थिक परिवर्तनों को समझ सकते हैं।
नई कंप्यूटर जनरेशन (GENERATION OF COMPUTER IN HINDI)से नई तकनीकी चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं और इसका अध्ययन करना हमें उनसे निपटने के लिए तैयार करता है।
कंप्यूटर जनरेशन (GENERATION OF COMPUTER IN HINDI)का अध्ययन करने से विज्ञान और तकनीक में रुचि रखने वाले विद्यार्थियों और अनुसंधानकर्ताओं को विभिन्न क्षेत्रों में विकास करने के लिए उत्साहित किया जा सकता है।
तकनीकी ज्ञान के साथ कंप्यूटर जनरेशन (GENERATION OF COMPUTER IN HINDI)का अध्ययन करने से लोग आधुनिक तकनीकी नौकरियों के लिए अधिक योग्य बन सकते हैं और इसे उच्च विद्याया और अनुसंधान क्षमता में सुधार के रूप में भी देख सकते हैं।
इन कारणों से, कंप्यूटर जनरेशन (GENERATION OF COMPUTER IN HINDI)का अध्ययन एक व्यक्ति के व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास में मदद कर सकता है, और समाज को तकनीकी प्रगति के साथ बदलाव को समझने में मदद कर सकता है।
कंप्यूटर ने हमारे समय में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और उसकी आवश्यकता कई कारणों से पैदा हुई है:
कंप्यूटर जनरेशन (GENERATION OF COMPUTER IN HINDI)के साथ हमारी दुनिया में कई महत्वपूर्ण और गहराईयों में परिवर्तन हुआ है. यहां कुछ आवश्यक दृष्टिकोण हैं जो बताते हैं कि कैसे कंप्यूटर तकनीकी प्रगति ने हमारी दुनिया को बदला है:
तेजी से गणना और प्रसंस्करण: कंप्यूटर तेजी से गणना और प्रसंस्करण करने में सक्षम है, जिससे बड़े और जटिल गणनाओं को संभालना संभव होता है।
कंप्यूटर डेटा को संग्रहित करने, प्रबंधित करने और उपयोगकर्ताओं के लिए साझा करने में मदद करता है।
इंटरनेट एक्सेस: कंप्यूटर इंटरनेट का उपयोग करके विश्व भर में जानकारी प्राप्त करने, संवाद करने और साझा करने में मदद करता है।
सॉफ़्टवेयर विकास: कंप्यूटर का उपयोग सॉफ़्टवेयर विकास में किया जा सकता है, जिससे नए और सुधारित प्रोग्राम बनाए जा सकते हैं।
आर्थिक विकास: कंप्यूटर तकनीक ने आर्थिक क्षेत्र में क्रांति ला दी है। विभिन्न उद्यमिता, ई-कॉमर्स, और डिजिटल वित्तीय सेवाएं हुई हैं जिनसे व्यापारों को नए अवसर मिले हैं और लोगों को सुविधाएं पहुंचाई गई हैं।
इंटरनेट और सोशल मीडिया के उपयोग से लोग विश्व भर में एक दूसरे के साथ जुड़े रह सकते हैं। यहां जनसामान्य को विचार विनिमय करने और विभिन्न भाषाओं और सांस्कृतिकों के साथ समर्थन करने का अवसर मिलता है।
कंप्यूटर तकनीक ने शिक्षा के क्षेत्र में भी क्रांति लाई है। ऑनलाइन शिक्षा, विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन संसाधन, और सामग्री का आसान पहुंच उन्हें शिक्षा में नए दिशाओं में ले जा रहे हैं।
नई तकनीकी प्रक्रियाएं नए रोजगार क्षेत्रों को खोल रही हैं, जैसे कि डेटा साइंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, और साइबर सुरक्षा।
कंप्यूटर तकनीक ने स्वास्थ्य सेवाओं को भी सुधारा है। इंटरनेट पर उपलब्ध मेडिकल सूचना, रोबोटिक सर्जरी, और डिजिटल स्वास्थ्य रेकॉर्ड ने स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बना दिया है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, और ब्लॉकचेन जैसी तकनीकें सांविदानिक क्षेत्रों में भी आवश्यक परिवर्तन ला रही हैं, जैसे कि न्यायिक प्रक्रियाओं, डेटा सुरक्षा, और व्यावसायिक नैतिकता।
कंप्यूटर तकनीक ने पर्यावरणीय सजीवता को बढ़ावा दिया है, जैसे कि इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और स्मार्ट सिटी तकनीकें जो ऊर्जा और संसाधन का सही उपयोग करने में मदद कर रही हैं।
डिजिटल मीडिया, ऑनलाइन स्ट्रीमिंग सेवाएं, और गेमिंग के क्षेत्र में कंप्यूटर तकनीक ने मनोरंजन को भी नए ऊँचाइयों पर ले जाया है।
इन सभी परिवर्तनों के साथ, हमारी दुनिया अब एक तकनीकी युग में है जिसमें कंप्यूटर तकनीक का महत्वपूर्ण स्थान है। यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि हम सुरक्षित, तेज़, और सहज तरीके से जुड़ सकते हैं और इसे सुरक्षित रूप से बनाए रख सकते हैं।
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